श्रीरामचरितमानस
से ...बालकांड
प्रसंग: सीताजी ने रंगभूमि में पैर रखा, तब सब राजा चकित होकर अचानक उनकी ओर देखने लगे ।
प्रसंग: सीताजी ने रंगभूमि में पैर रखा, तब सब राजा चकित होकर अचानक उनकी ओर देखने लगे ।
तुलसीदास जी
कहते हैं कि इस प्रकार का संयोग
होने से जब सुंदरता और सुख की मूल लक्ष्मी उत्पन्न हो, तो भी कवि लोग उसे बहुत संकोच के साथ सीताजी
के समान कहेंगे ।
सखियाँ
सीताजी को साथ लेकर मनोहर वाणी से गीत गाती हुई चलीं। सीताजी के नवल शरीर पर सुंदर
साड़ी सुशोभित है। जगज्जननी की महान छबि अतुलनीय है । सब आभूषण अपनी-अपनी जगह पर
शोभित हैं, जिन्हें
सखियों ने अंग-अंग में भलीभाँति सजाकर पहनाया है। जब सीताजी ने रंगभूमि में पैर
रखा, तब उनका दिव्य
रूप देखकर स्त्री, पुरुष
सभी मोहित हो गए देवताओं ने हर्षित होकर नगाड़े बजाए और पुष्प बरसाकर अप्सराएँ
गाने लगीं। सीताजी के करकमलों में जयमाला सुशोभित है। सब राजा चकित होकर अचानक
उनकी ओर देखने लगे ।
सीताजी
चकित चित्त से श्री रामजी को देखने लगीं, तब सब राजा लोग मोह के वश हो गए। सीताजी ने
मुनि के पास बैठे हुए दोनों भाइयों को देखा तो उनके नेत्र श्री रामजी में जा स्थिर
हो गए ।
दोहा :
* एहि
बिधि उपजै लच्छि जब सुंदरता सुख मूल।
तदपि सकोच समेत कबि कहहिं सीय समतूल॥247॥
तदपि सकोच समेत कबि कहहिं सीय समतूल॥247॥
चौपाई
:
* चलीं
संग लै सखीं सयानी। गावत गीत मनोहर बानी॥
सोह नवल तनु सुंदर सारी। जगत जननि अतुलित छबि भारी॥1॥
सोह नवल तनु सुंदर सारी। जगत जननि अतुलित छबि भारी॥1॥
* भूषन
सकल सुदेस सुहाए। अंग अंग रचि सखिन्ह बनाए॥
रंगभूमि जब सिय पगु धारी। देखि रूप मोहे नर नारी॥2॥
रंगभूमि जब सिय पगु धारी। देखि रूप मोहे नर नारी॥2॥
*हरषि
सुरन्ह दुंदुभीं बजाईं। बरषि प्रसून अपछरा गाईं॥
पानि सरोज सोह जयमाला। अवचट चितए सकल भुआला॥3॥
पानि सरोज सोह जयमाला। अवचट चितए सकल भुआला॥3॥
* सीय
चकित चित रामहि चाहा। भए मोहबस सब नरनाहा॥
मुनि समीप देखे दोउ भाई। लगे ललकि लोचन निधि पाई॥4॥
मुनि समीप देखे दोउ भाई। लगे ललकि लोचन निधि पाई॥4॥
#धर्म_चर्चा
जवाब देंहटाएंआज का प्रश्न- रामचरितमानस में बाल कांड में गोस्वामी जी कहते हैं कि
रंगभूमि मह सिय पगुधारी
मोहे सकल देखि नरनारी
और वहीं उत्तर कांड में कहते हैं कि
मोहे न नारि नारि के रूपा
पन्नगारि यह रीति अनूपा। ऐसा विरोधाभास क्यों है?
As far as I think, in the first chaupai, Goswami ji means all those who were present near the stage. Here, 'mohana' seems to have a meaning close to be impressed, or, you can say, mesmerised.'Sakal' is inclusive of all, irrespective of sex-male-female.
जवाब देंहटाएंWhereas in Uttarkand's chaupai, the St. poet means to show the jealousy of woman for woman. In general course also, a woman hardly Brooks praise of another woman, howsoever inferior she may be. Reg.