रामचरितमानस
से ...बालकांड
प्रसंग: बारात का जनकपुर में आना और स्वागतादि
प्रसंग: बारात का जनकपुर में आना और स्वागतादि
बड़े जोर से बजते
हुए नगाड़ों की आवाज सुनकर श्रेष्ठ बारात को आती हुई जानकर अगवानी करने वाले हाथी, रथ, पैदल और घोड़े
सजाकर बारात लेने चले ।
दूध, शर्बत, ठंडाई, जल आदि से भरकर
सोने के कलश तथा जिनका वर्णन नहीं हो सकता ऐसे अमृत के समान भाँति-भाँति के सब
पकवानों से भरे हुए परात, थाल आदि अनेक
प्रकार के सुंदर बर्तन, उत्तम फल तथा और भी
अनेकों सुंदर वस्तुएँ राजा ने हर्षित होकर भेंट के लिए भेजीं। गहने, कपड़े, नाना प्रकार की
मूल्यवान मणियाँ (रत्न), पक्षी, पशु, घोड़े, हाथी और बहुत तरह
की सवारियाँ, तथा बहुत प्रकार के
सुगंधित एवं सुहावने मंगल द्रव्य और शगुन के पदार्थ राजा ने भेजे। दही, चिउड़ा और अगणित
उपहार की चीजें काँवरों में भर-भरकर कहार चले ।
अगवानी करने वालों को जब बारात दिखाई दी, तब उनके हृदय में
आनंद छा गया और शरीर रोमांच से भर गया। अगवानों को सज-धज के साथ देखकर बारातियों
ने प्रसन्न होकर नगाड़े बजाए ।
दो0-आवत जानि बरात बर सुनि गहगहे
निसान।
सजि गज रथ पदचर तुरग लेन चले अगवान।।304।।
कनक कलस भरि कोपर थारा। भाजन ललित अनेक प्रकारा।।
भरे सुधासम सब पकवाने। नाना भाँति न जाहिं बखाने।।
फल अनेक बर बस्तु सुहाईं। हरषि भेंट हित भूप पठाईं।।
भूषन बसन महामनि नाना। खग मृग हय गय बहुबिधि जाना।।
मंगल सगुन सुगंध सुहाए। बहुत भाँति महिपाल पठाए।।
दधि चिउरा उपहार अपारा। भरि भरि काँवरि चले कहारा।।
अगवानन्ह जब दीखि बराता।उर आनंदु पुलक भर गाता।।
देखि बनाव सहित अगवाना। मुदित बरातिन्ह हने निसाना।।
सजि गज रथ पदचर तुरग लेन चले अगवान।।304।।
कनक कलस भरि कोपर थारा। भाजन ललित अनेक प्रकारा।।
भरे सुधासम सब पकवाने। नाना भाँति न जाहिं बखाने।।
फल अनेक बर बस्तु सुहाईं। हरषि भेंट हित भूप पठाईं।।
भूषन बसन महामनि नाना। खग मृग हय गय बहुबिधि जाना।।
मंगल सगुन सुगंध सुहाए। बहुत भाँति महिपाल पठाए।।
दधि चिउरा उपहार अपारा। भरि भरि काँवरि चले कहारा।।
अगवानन्ह जब दीखि बराता।उर आनंदु पुलक भर गाता।।
देखि बनाव सहित अगवाना। मुदित बरातिन्ह हने निसाना।।
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