श्रीरामचरितमानस
से ...बालकांड
प्रसंग : श्री रामजी का
शिवजी से विवाह के लिए अनुरोध
फिर श्रीराम जी ने शिवजी से कहा- हे शिवजी!
यदि मुझ पर आपका स्नेह है,
तो अब आप मेरी विनती सुनिए। मुझे यह माँगें दीजिए कि आप जाकर
पार्वती के साथ विवाह कर लें ।
शिवजी ने कहा- यद्यपि ऐसा उचित नहीं है, परन्तु स्वामी की बात भी मिटाई
नहीं जा सकती। हे नाथ! मेरा यही परम धर्म है कि मैं आपकी आज्ञा को सिर पर रखकर
उसका पालन करूँ ।
माता,
पिता, गुरु और स्वामी की बात को बिना ही
विचारे शुभ समझकर करना चाहिए। फिर आप तो सब प्रकार से मेरे परम हितकारी हैं। हे
नाथ! आपकी आज्ञा मेरे सिर पर है ।
शिवजी की भक्ति, ज्ञान और धर्म से युक्त वचन
सुनकर प्रभु रामचन्द्रजी संतुष्ट हो गए। प्रभु ने कहा- हे हर! आपकी प्रतिज्ञा
पूरी हो गई। अब हमने जो कहा है, उसे हृदय में रखना॥3॥
इस प्रकार कहकर श्री रामचन्द्रजी अन्तर्धान
हो गए। शिवजी ने उनकी वह मूर्ति अपने हृदय में रख ली। उसी समय सप्तर्षि शिवजी के
पास आए। प्रभु महादेवजी ने उनसे अत्यन्त सुहावने वचन कहे-
आप लोग पार्वती के पास जाकर उनके प्रेम की
परीक्षा लीजिए और हिमाचल को कहकर उन्हें पार्वती को लिवा लाने के लिए भेजिए।
पार्वती को घर भिजवाइए और तथा उनके संदेह को दूर कीजिए ।
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गुरुवार, 15 अक्टूबर 2015
76-77 : बालकांड : श्री रामजी का शिवजी से विवाह के लिए अनुरोध
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