शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

212: बालकांड :श्री राम-लक्ष्मण सहित विश्वामित्र का जनकपुर में प्रवेश:

































श्रीरामचरितमानस से ... बालकांड
प्रसंग:श्री राम-लक्ष्मण सहित विश्वामित्र का जनकपुर में प्रवेश:
श्री राम-लक्ष्मण सहित विश्वामित्र का जनकपुर में प्रवेश
श्री रामजी और लक्ष्मणजी मुनि के साथ चले। वे वहाँ गए, जहाँ जगत को पवित्र करने वाली गंगाजी थीं। महाराज गाधि के पुत्र विश्वामित्रजी ने वह सब कथा कह सुनाई जिस प्रकार देवनदी गंगाजी पृथ्वी पर आई थीं । तब प्रभु ने ऋषियों सहित गंगाजी में स्नान किया। ब्राह्मणों ने भाँति-भाँति के दान पाए। फिर मुनिवृन्द के साथ वे प्रसन्न होकर चले और शीघ्रही जनकपुर के निकट पहुँच गए ।
श्री रामजी ने जब जनकपुर की शोभा देखी, तब वे छोटे भाई लक्ष्मण सहित अत्यन्त हर्षित हुए। वहाँ अनेकों बावलियाँ, कुएँ, नदी और तालाब हैं, जिनमें अमृत के समान जल है और मणियों की सीढ़ियाँ बनी हुई हैं । मकरंद रस से मतवाले होकर भौंरे सुंदर गुंजार कर रहे हैं। रंग-बिरंगे बहुत से पक्षी मधुर शब्द कर रहे हैं। रंग-रंग के कमल खिले हैं। सदा सब ऋतुओं में सुख देने वाला शीतल, मंद, सुगंध पवन बह रहा है ।
पुष्प वाटिका ,बाग और वन, जिनमें बहुत से पक्षियों का निवास है, फूलते, फलते और सुंदर पत्तों से लदे हुए नगर के चारों ओर सुशोभित हैं ।
चौपाई :
* चले राम लछिमन मुनि संगा। गए जहाँ जग पावनि गंगा॥
गाधिसूनु सब कथा सुनाई। जेहि प्रकार सुरसरि महि आई॥1॥
* तब प्रभु रिषिन्ह समेत नहाए। बिबिध दान महिदेवन्हि पाए॥
हरषि चले मुनि बृंद सहाया। बेगि बिदेह नगर निअराया॥2॥
* पुर रम्यता राम जब देखी। हरषे अनुज समेत बिसेषी॥
बापीं कूप सरित सर नाना। सलिल सुधासम मनि सोपाना॥3॥
* गुंजत मंजु मत्त रस भृंगा। कूजत कल बहुबरन बिहंगा॥
बरन बरन बिकसे बनजाता। त्रिबिध समीर सदा सुखदाता॥4॥
दोहा :
* सुमन बाटिका बाग बन बिपुल बिहंग निवास।
फूलत फलत सुपल्लवत सोहत पुर चहुँ पास॥212।













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